Rangoli kaise banate hain?

Rangoli kaise banate hain? रंगोली कैसे बनायें ?

भारत में होली हो या दिवाली, रंगोली बनाने का प्रचलन तो प्राचीन काल से चला आ रहा है। रंगोली अर्थात् ‘रंगों की होली’। रंगोली मुख्य रूप से संस्कृत भाषा के शब्द ‘रग’ से उत्पन्न हुई हैं, जिसका अर्थ है रंग। इसे संस्कृत में ‘रंगावली’ भी कहा जाता है। हिंदू परंपराओं के अनुसार त्योहारों और विशेष मौकों पर यह घर के आंगन को सुशोभित करने के लिए बनाई जाती हैं। यदि आप नहीं जानते नहीं कि रंगोली कैसे बनाते हैं? (Rangoli kaise banate hain?) तो आपको बता दें कि इसे बनाने के कई तरीके हैं।

पहले और आज के समय में रंगोली बनाने को लेकर काफी अंतर आ गया है। कई बार इसे मुख्य रूप से चूने के पत्थर, लाल गेरू, सूखे चावल का आटा, रंगीन रेत, क्वार्ट्ज पाउडर, फूलों की पंखुड़ियों और रंगीन चट्टानों जैसी सामग्री का उपयोग करके जमीन पर बनाया जाता है। लेकिन आजकल बाजारों में बनी बनाई रंगोली मिलती है जिसकी मदद से आप केवल डिजाइन करके फर्श पर रंगोली बना सकते हैं। भारतीय प्राचीन कला और परंपरा की यह एक अमूल्य निधि हैं। तो आइए जानते हैं इसके बारे में और जानकारी जिसमें हम आपको बताएंगे रंगोली क्या है? और रंगोली कैसे बनाते हैं? (Rangoli kaise banate hain?)

रंगोली क्या है? (What is Rangoli?)

रंगोली रंगो से निर्मित विशेष आकृति है, जिसे विशेष रूप से सूखे या गीले रंगो, फूलों की पंखुड़ियों व घरेलू सामानो के मदद से बनाया जाता है। हमारे देश में विभिन्न पर्वों के लिए विविध प्रकार की आकृति बनाने की परंपरा है। यह परंपरा कई दशकों से चलती आ रही है। राजस्थान में से ‘माँडना’ कहते हैं, जिसे गेरू और चूने की मदद से जमीन पर उकेरा जाता है।

गेरू से लाल रंग और चूने से सफेद रंग उत्पन्न होता है। लाल और सफेद रंगो मिश्रण से बनी यह रंगोली बहुत सुंदर और आकर्षक दिखाई देती हैं। विज्ञान ने भी इस बात को प्रमाणित किया है कि रंगों से हमारे जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अतः रंगोली बनाने से पूरे घर ही नहीं अपितु आसपास के परिवेश में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं।

रंगोली का इतिहास क्या है? (What is the history of Rangoli?)

Rangoli kaise banate hain? के बारे में तो आप जानेंगे ही लेकिन रंगोली के इतिहास के बारे में भी जानना आपके लिए बेहद रोमांचक हो सकता है। बता दें कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष वन में व्यतीत कर रावण पर विजय पाकर अयोध्या नगरी लौट रहे थे। तब सभी ग्रामवासियों ने भगवान श्रीराम का स्वागत बड़े धूमधाम से किया था। सभी अयोध्या वासियों ने नगर को फूलों व पत्तों से सजाया था और अपने घर के आंगनो में रंगो से विभिन्न प्रकार की आकृति बनाई थी, जिसे देखकर माता सीता और भगवान श्रीराम बहुत प्रसन्न हुए थे। तभी से हर बार दीपावली और विशेष हिंदू त्योहारों पर रंगोली बनाने की प्रथा चली आ रही है।

अन्य मान्यताओं के अनुसार देवी लक्ष्मी को रंगों से विशेष प्रेम है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने एवं घर में धन-धान्य और संपदा बनी रहे। इसके लिए विशेष त्योहारों पर और मुख्य रूप से लक्ष्मी पूजा के दिन घर के द्वार के सामने रंगोली बनाने की विशेष परंपरा है। विशेषकर इस दिन रंगों से विशेष रूप से कमल पुष्प की रंगोली बनाई जाती है क्योंकि कमल का फूल देवी लक्ष्मी का आसन माना जाता है।

हालांकि समय के साथ रंगोली कला में कल्पना और नवीन विचारों को भी शामिल किया गया है लेकिन अब भी रंगोली में पारंपरिक आकर्षण और कलात्मकता जीवित है। वर्तमान समय में तो व्यावसायिक रूप से फाइव स्टार होटलों एवं रेस्ट्रेंट्स जैसे जगहों पर भी रंगोली दर्शकों को आकर्षित करने के लिए बनाई जाती है। 

रंगोली के प्रकार क्या हैं? (What are the types of Rangoli?)

वैसे तो रंगोली विभिन्न प्रकार की होती है परंतु आज के दौर में मुख्य रूप से चार प्रकार की ही रंगोली विशेषतः बनाई जाती है, जिसमें आप सूखे रंगों, गीले रंगों, फूलों व पत्तियों के अलावा अनाज का इस्तेमाल कर प्राकृतिक रूप से रंगोली बना सकते हैं।

रंगोली कैसे बनाते हैं? (Rangoli kaise banate hain?)

रंगोली विभिन्न रंगों के मिश्रण से बनाई जाती है जिससे व्यक्ति की क्रिएटिविटी का पता चलता है और मस्तिष्क क्रिएटिव भी बना रहता है। इससे आपके स्किल्स में भी वृद्धि होती है। रंगोली को बनाने से घर ही नहीं बल्कि आसपास के परिवेश का वातावरण भी सकारात्मक हो जाता है।

कला का सीधा संबंध दिल और दिमाग से होता है। अतः जो भी मन की शांति और दिमागी थकावट को दूर करना चाहते हैं वे सभी रंगोली बना करके अपने मस्तिष्क को फ्रेश कर सकते हैं। यह ना केवल आपकी थकावट को दूर करेगा बल्कि साथ ही साथ आपकी क्रिएटिवी को भी प्रदर्शित करने का एक बेहतरीन विकल्प होगा।

भारत के विभिन्न राज्यों में रंगोली के विशेष महत्त्व हैं एवं यह अनेक प्रकार से रंगोली बनाई जाती है। जैसे कि भारत के उत्तरी राज्यों में नवरात्रों में माता के आने की खुशी में उनके अलग अलग रूपों की रंगोली चित्र के माध्यम से बनाकर के प्रदर्शित की जाती है। जन्माष्टमी पर भी भगवान श्रीकृष्ण की अनेकानेक रूपों का चित्रांकन रंगोली के रूप में किया जाता है। कहीं बांसुरी बजाते श्याम तो कहीं उनके प्रिय मोर पंख बना करके लोग इस उत्सव का स्वागत करते हैं।

सबसे पहले तो हमने आपको बताया रंगोली से जुड़े कुछ धार्मिक एवं सांस्कृतिक बातों के बारे में लेकिन अब हम आपको रंगोली बनाने के अनेक माध्यम एवं उसकी विधि बताने वाले हैं। आपको बता दें कि रंगोली कई तरीके से बनाई जाती है लेकिन यदि आप नहीं जानते कि rangoli kaise banate hai तो आइए जानते हैं रंगोली बनाने की विधि क्या है –

  1. सूखे रंगों के माध्यम से रंगोली बनाएं: 

इस माध्यम से अधिकांश लोगों द्वारा रंगोली बनाई जाती हैं। यह अन्य रूपों से बनाई जाने वाली रंगोली की तुलना में अधिक आसानी से बन जाती है। इसके लिए आप एक या एक से अधिक रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जो कि पूर्ण रूप से आपके ऊपर निर्भर करता है।

  1. गीले रंगों की मदद से रंगोली बनाएं: 

इस माध्यम से रंगोली बनाना अन्य माध्यमों से रंगोली बनाने की तुलना में थोड़ा कठिन होता है क्योंकि इसमें मुख्य रूप से गीले रंगों का उपयोग किया जाता है। अतः थोड़ी सी भी गलती आपके रंगोली को बेकार बना सकती है। इससे बचने के लिए आप सफेद चौक से पहले ही आकृति उकेर कर सावधानीपूर्वक रंगों को भरे।

  1. फूलों व पत्तियों से रंगोली बनाएं: 

इस माध्यम से बनी रंगोली बेहद आकर्षक होती है। इस रंगोली के लिए आप सभी फ्रेश फूलों का न कर मुरझाए हुए फूलों व पत्तों का भी इस्तेमाल करें। इससे आप मुरझाए हुए फूलों का बेहतर इस्तेमाल भी कर लेंगे और आपकी रंगोली भी बेहद आकर्षक दिखेगी। 

  1. रेडीमेड बाजार में बनी हुई स्टीकर रंगोली का इस्तेमाल करें: 

आजकल मार्केट में रेडीमेड प्लास्टिक पर बनी रंगोली (Readymade rangoli) मिल जाती हैं, जिसे आप अपने आंगन पर चिपका कर अपने अनुसार रंगों का चयन कर रंग भर सकते हैं अथवा इसके लिए फूलों का भी उपयोग कर सकते हैं। 

  1. चावल से रंगोली बनाएं:

प्राचीन युग में चावल को भिगो कर पेस्ट का इस्तेमाल करके रंगोली बनाया जाता था। इसके लिए सबसे पहले आपको चावल को भिगोकर उसे पीसना है। अब दो भागों में चावल के पेस्ट को बांट लिजिए। एक भाग के चावल में हल्दी मिला लें और आधे चावल को सफेद ही रहने दें। इस तरह से आप विभिन्न रंग तैयार करके रंगोली में रंग भर सकते हैं। रंगोली बनाने के लिए सबसे पहले जमीन को गेरू या गोबर से लीप लें। इसके बाद चावल के मांडने अर्थात आकृतियां बनाएं। यह मांडने तब तक जमीन पर बने रहते हैं, जब तक इन पर पानी नहीं डाला जाता है।

  1. खाद्यान्नों से रंगोली तैयार करें:

इन दिनों लोग खाद्यान्नों से भी रंगोली बनाया करते हैं, जो काफी ट्रेंड पर है। आप दाल, चावल और अन्य खाद्यान्नों के रंगों के आधार पर उन्हें अलग करके रखते हैं। फिर चूने से विभिन्न आकृति बना करके उसमें दाल, चावल, गेहूँ अपने पसंद के रंगों को भर के रंगोली बना सकते हैं। रंगोली का प्रारूप बहुत हद तक बदल गया है और लोग अधिकांशतः रंगोली सूखे रंगों अथवा गीले रंगों का प्रयोग कर के बनाते हैं। यदि रंगोली को लम्बे समय तक रखनी है या हमेशा के लिए रखनी है तब आप रंगोली में ऑयल पेंट का प्रयोग करके रंगोली को काफी लंबे समय तक जीवित रख सकते हैं।

रंगोली बनाने का महत्व क्या है? (What is the importance of making rangoli?)

भारत के दक्षिणी हिस्सों में भी रंगोली का विशेष महत्व है। ओणम, पोंगल इत्यादि जैसे शुभ त्योहारों के मौके पर घर में रंगोली बनाने की विशेष परंपरा है। हालाकि, वहां पर बालू से भी रंगोली बनाई जाती हैं। जिसे मुख्य तौर पर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मुग्गु और तमिलनाडु में कोलम कहते हैं।

योग में भी रंगोली बनाने का विशेष महत्व है क्योंकि रंगोली बनाते समय आपकी उंगली और अंगूठा मिलकर ज्ञान मुद्रा बनाते हैं। जो आपके मस्तिष्क को ऊर्जावान और सक्रिय बनाने के साथ-साथ व्यक्ति के बौद्ध‍िक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर आप भी रंगोली बनाते हैं तो इससे आपका दिमाग संतुलित रहेगा और आपकी याद करने की शक्ति और किसी बात को समझने की शक्ति तीव्र होगी।

एक्यूप्रेशर को मद्देनजर रखते हुए भी रंगोली बनाना बेहद फायदेमंद है। रंगोली बनाते वक्‍त हाथों में जो मुद्रा बनती है। वह मुद्रा आपके स्‍वास्‍थ को विशेष रूप से प्रभावित करती है। यदि आपको हाई ब्‍लडप्रेशर की दिक्कत रहती है। तो रंगोली बनाने से यह बहुत हद तक कम की जा सकती है क्‍योंकि इससे मानसिक व आत्म‍िक दोनों रूपों से शांति मिलती है। जो कि आपके रक्त के संचार को नॉर्मल बनाए रखता है।

यदि आप समझते हैं कि रंगोली बनाने का उद्देश्य केवल सजावट है तो यह बिल्कुल भी सही नहीं है। प्राचीन समय से ही इसे बनाने के विशेष वैज्ञानिक तथ्य भी मौजूद है। परंपरागत रूप से रंगोली कैल्साइट पाउडर अर्थात् चूना पत्थर या अनाज के पिसे हुए पाउडर का उपयोग मूल डिजाइन के लिए किया जाता है। चूना पत्थर कीड़ों को घर में प्रवेश करने से रोकने में सक्षम है और अनाज के पाउडर कीड़ों को अपनी और आकर्षित करते हैं और उन्हें घर में प्रवेश करने से रोकते हैं।

निष्कर्ष –

हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दिए गए जानकारी के मुताबिक अब Rangoli kaise banate hain? का जवाब आपको मिल गया होगा। यहां हमने रंगोली बनाने के कई तरीके के बारे में बताया है जिसकी जानकारी आपके लिए मददगार रही होगी। अब आप किसी भी त्यौहार में घर पर बनाई रंगोली का इस्तेमाल कर अपने घर को और भी सुंदर और आकर्षक लुक दे सकते हैं।

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